Solar Storm : आज रात पृथ्वी पर बड़ा ‘खतरा’ दिखाई दे रहा है, जिसे अभी हाल ही मे NASA ने बड़ी चेतावनी को जारी किया है, जिसके चलते धरती पर रहने वाले अपने आप को तैयार कर ले एक बड़ा सौर तूफान धरती की तरफ बढ़ रहा है, धरती पर एक बड़ा सौर तूफान तेजी से आ रहा है जिससे ग्रह पर सारे इलेक्ट्रॉनिक सामान और कम्युनिकेशन सिस्टम पर प्रभाव पड़ सकता है, वैसे यह केवल अभी अनुमान लगाया जा रहा है, इस पर ज्याद विस्तार से चिन्ता करने की जरुरत नही है, पर फिर भी मिडिया रिपोर्ट के अनुसार और जाने माने साइंटिस्ट के अनुसार कुछ सुझाव भी दिए गए है। आइए इस सौर तुफान के बारे मे प्रमुख जरुरी खबरो पर नजर डालते है।
Solar Storm
इस सौर तुफान से हो सकता है जो हमारा कम्युनिकेशन सिस्टम है उस पर खासा असर पड़े अमेरिकी अंतरिक एजेंसी यानी कि नासा ने चेतावनी दी है कि यह सौर तूफान कोरोनल मास इंजेक्शन के रूप में धरती से टकराने वाला है सीमी सूर्य से निकला हुआ प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र होता है, जो अंतरिक्ष में तेजी से फैलता है और जब यह धरती के चुंबकीय क्षेत्र से टकराता है तो गंभीर भू चुंबकीय तूफानों का कारण बन सकता है। यह सौर तूफान पृथ्वी के वर्तमान सौर चक्र के सबसे शक्तिशाली चरण में आ रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक सौर चक्र 25 अपने चरम की ओर बढ़ रहा है जो 2025 में अपेक्षित है यह चक्र आमतौर पर 11 सालों का होता है। जिसमें सूर्य की सतह पर बढ़ती हुई सक्रियता देखी जाती है हाल ही में 3 अक्टूबर को सूर्य के सन स्पॉट एर 3842 ने बहुत ही शक्तिशाली श्रेणी की सौर ज्वाला उत्पन्न की दरअसल एक्स श्रेणी की सौर ज्वालाएं सबसे ताकतवर होती है। और इनमें ज्यादा विकिरण होता है जो धरती की रेडियो संचार प्रणालियों को बाधित कर सकता है।
सौर तुफान को लेकर नासा का अपडेट
इस विकिरण विस्फोट ने अफ्रीका और दक्षिण अटलांटिक क्षेत्र में रेडियो सिग्नल्स को कुछ समय के लिए बाधित कर दिया जिससे करीब 30 मिनट तक रेडियो सिग्नल प्रभावित रहे वह जा नहीं सके इसके अलावा इस घटना के साथ दो बड़े सीएमई भी रिलीज हुए पहला सीएमई 4 अक्टूबर को धरती से टकराया था। लेकिन नासा ने चेतावनी दी है कि 6 अक्टूबर को इसका सबसे बड़ा असर देखने को मिलेगा इस दिन एक G3 सीरीज का भू चुंबकीय तूफान होने की संभावना है जिससे धरती के मध्य अक्षांशों पर शानदार अरोरा दिखाई दे सकता है। सौर तूफानों का असर धरती पर कई स्तर पर हो सकता है यह तूफान विशेष तौर से सैटेलाइट संचार जीपीएस सिस्टम पावर ग्रिड और रेडियो संचार को बाधित कर सकते हैं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी कि इसरो ने भी हालातों पर कड़ी नजर रखी हुई है और भारतीय उपग्रह संचालकों को एतिहाद बरतने के निर्देश दिए हैं।
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